चलना हमारा काम है | शिवमंगल सिंह ’सुमन’ | SHIVMANGAL SINGH SUMAN

चलना हमारा काम है - शिवमंगल सिंह ’सुमन’ बच्चे इस कविता के द्वारा यह सीखते हैं कि जीवन के सफर में अनेक रुकावटें आती हैं और उनका सामना करते हुए लक्ष्य प्राप्ति तक कदम बढ़ानेवाला व्यक्ति आदरणीय होता है। गति प्रबल पैरों में भरी फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा जब आज मेरे सामने है रास्ता इतना पड़ा जब तक न मंजिल पा सकूँ, तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है। मैं पूर्णता की खोज में दर-दर भटकता ही रहा प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ रोड़ा अटकता ही रहा पर हो निराशा क्यों मुझे ? जीवन इसी का नाम है, चलना हमारा काम है। कुछ साथ में चलते रहे कुछ बीच ही से फिर गए, पर गति न जीवन की रुकी जो गिर गए सो गिर गए जो रहे हर दम, उसी की सफलता अभिराम है, चलना हमारा काम है।
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