रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 10 - वासुदेव का नवजात श्री कृष्ण को लेकर यमुना पार करना

बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 Ramanand Sagar’s Shree Krishna Episode 10 - Vasudev crossing the Yamuna with the newborn Shri Krishna भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म होता है। देवी योगमाया के स्वप्नानुसार वासुदेव की बेड़ियाँ खुल जाती है और कारागार के सैनिक बेहोश हो जाते है। वासुदेव बालक को सूप पर रखकर गरजदार बारिश में उफनाती हुई यमुना नदी के पार करने लगते है, बालक रक्षा हेतु स्वयं क्षीर सागर से शेषनाग आकर उनका छत्र बन जाते है। अचानक यमुना नदी का पानी का स्तर बढ़ने लगता है और वासुदेव को यमुना जी के कृष्ण की पटरानी होने के गूढ़ रहस्य का पता नहीं होता है। यमुना जी मूर्तिमान हो स्वयं प्रकट होकर अपने स्वामी की चरण वन्दन करना चाहती है, इसलिये वह अपने जल स्तर को बढ़ा कर कृष्ण के चरण तक पहुँचना चाहती है, इस पर कृष्ण जी अपने चरण को यमुना नदी के जल से छूआ देते है। वासुदेव गोकुल पहुँच कर अपनी प्रिय संतान को यशोदा के बगल में लिटा कर उनकी पुत्री को ले वापस कारागार चल देते है। योगमाया की माया के प्रभाव से वासुदेव सब कुछ भूल जाते है और उनके पुनः बेड़ियाँ लग जाती है तथा सैनिक होश में आ जाते है। बच्चे के रोने की आवाज़ सुनकर सैनिक और परिचारिका आ जाते है और परिचारिका कारागार निरीक्षक को देवकी के लड़की के सूचना कंस को देने को कहती है। कंस लड़की होने की सूचना पाते ही भड़क उठता है और तुरंत कारागार पहुँच जाता है। कंस को लड़की देख लगता है कि उसके सैनिक व परिचारिका ने किसी के साथ मिल कर बच्चे की अदला-बदली की है। कंस उन सब पर क्रोधित होता है और वासुदेव से सत्य जानना चाहता है, लेकिन माया के प्रभाव से वह सब कुछ भ
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