मधुर मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा | CBSE | CLASS X | HINDI

मधुर मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा मधुर मधुर मेरे दीपक जल! युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल, प्रियतम का पथ आलोकित कर। सौरभ फैला विपुल धूप बन, मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन; दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित, तेरे जीवन का अणु गल गल! पुलक पुलक मेरे दीपक जल! सारे शीतल कोमल नूतन, माँग रहे तुझसे ज्वाला-कण विश्व-शलभ सिर धुन कहता ’मैं हाय न जल पाया तुझ में मिल’! सिहर सिहर मेरे दीपक जल! जलते नभ में देख असंख्यक, स्नेहहीन नित कितने दीपक; जलमय सागर का उर जलता, विद्युत ले घिरता है बादल! विहँस विहँस मेरे दीपक जल!
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