आचार्य चाणक्य | ACHARYA CHANAKYA | विष्णु गुप्त | कौटिल्य | अर्थशास्त्र’

आचार्य चाणक्य | ACHARYA CHANAKYA मित्र इस कुश को खोदकर उसमें मट्ठा क्यां डाल रहे हो? ’इसका काँटा मेरे पैर में घुस गया। मैंने काँटा तो निकाल लिया, किन्तु यह फिर किसी के पैर में न चुभे इसलिए इसे जड़ से नष्ट करना चाहिए।’ - यह वार्तालाप चन्द्रगुप्त तथा चाणक्य के बीच का है। भारतीय इतिहास और राजनीति में चाणक्य का विशिष्ट स्थान है। शासन के विविध पहलुओं का जैसा सारगर्भित विवेचन उनके ग्रन्थ ‘अर्थशास्त्र’ में है वैसा सम्भवतः विश्व के पराचीन और आधुनिक किसी भी राजनीतिशास्त्र के विचारक ने नहीं किया है। अतः चाणक्य की गिनती विश्व के राजनीतिशास्त्र के महानतम चिन्तकों में की जाती है
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