देशप्रेमी संन्यासी | स्वामी विवेकानन्द | SWAMI VIVEKANANDA

देशप्रेमी संन्यासी | स्वामी विवेकानन्द | SWAMI VIVEKANANDA स्वामी विवेकानन्द भारत माता के विरल सुपुत्र थे। उन्होंने अपनी प्रचंड प्रतिभा, गंभीर ज्ञान और असाधारण वाक्शक्ति द्वारा विदेशों में भारतीय दर्शन, वेद-वेदांत का महत्त्व प्रमाणित किया। स्वामीजी ने अमेरीका और इंग्लैंड के विद्वानों को समझा दिया कि हिंदू धर्म सहनशील और मानवीय है। उसमें संकीर्णता या कट्टरता नहीं है। उन्होंने देश के लोगों को भी जगाया, सेवा का कार्य किया। कराया भी। देश का नाम उजागर किया। वे संन्यासी थे। सदा के लिए नमस्य भी। स्वामीजी ने भारतीयों को सुखभोग त्यागकर सादा-सीधा जीवन बीताने को कहा। सदा कर्म-तत्पर रहने, निराशा और आलस्य को छोड़ने को उत्साहित किया। सदैव जाग्रत रहने के लिए अपने भाषण में आह्वान किया था। भारत हमारा सिरमौर है। इसे भारतीय को भूलना नहीं चाहिए। स्वामीजी ने अमेरीका और इंग्लैंण्ड जैसे समृद्धिशाली देशों में जाकर भारतीय ज्ञान का दार्शनिक विचारों का अपने वक्तव्य के जरिये प्रचार प्रसार किया। रामकृष्ण परमहंस के वे उपयुक्त शिष्य थे। आज देश भर में तथा विदेशों में इनकी अनेक संस्थाएँ भारतीय संस्कृति और दर्शन के प्रचार-प्रसार में लगी हैं। देश विदेश में भारत के नाम को रोशन करने वाला संन्यासी और कोई नहीं स्वामी विवेकानंद ही हैं, जिनका स्मरण आज देश-विदेशों में लोग कर रहे हैं।
Back to Top